Thursday, August 8, 2024

शासन - प्रशासन में भारतीय भाषाएं

 शासन - प्रशासन में भारतीय भाषाएं।

इस दृष्टि से हम अन्य भारतीय भाषाओं के साथ भारत की राजभाषा पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे -


संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी भारत संघ की राजभाषा है और देवनागरी को लिपि के रूप में मान्य किया गया है । सह राजभाषा के रूप में दस वर्षों के लिये अंग्रेज़ी की व्यवस्था की गई । परंतु अंतत : अंग्रेज़ी ही वास्तविक राजभाषा के रूप में बनी रही । 


अनुच्छेद 353 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिन्दुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो वहाँ उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्‍यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे । 

दुर्भाग्य से अनुच्छेद 343 में राजभाषा के रूप में अंग्रेज़ी को बनाए रखने का यह परिणाम हुआ कि वास्तविक रूप में अंग्रेज़ी भारत की राजभाषा बनी रही । 

यही स्थिति राज्यों में भी रही और प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में राज्यों में भी अपनी स्थानीय भाषा के बजाए अंग्रेज़ी का ही प्रयोग होता रहा । 


क्या यह केवल भाषा का प्रश्न है । वास्तव में यह देश की मौलिकता , अभिव्यक्ति , जनता से जुड़ाव , समाज विशेषकर युवाओं के लिए अवसर देने और विकास में सबको जोड़ने का प्रश्न है । मानवाधिकार का प्रश्न है । धीरे - धीरे प्रशासन में हिंदी व अन्य भारतीय भाषाएँ हाशिए पर चली गयी । इस महत्वपूर्ण आयाम का विशद विश्लेषण संभव है परंतु यहाँ इस स्थिति में परिवर्तन के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिदुंओं का उल्लेख किया जा रहा है - 

1. प्राय : वरिष्ठ अधिकारियों या सिविल सेवा के अधिकारियों द्वारा हिंदी या भारतीय भाषाओं के जानकारी के अभाव की शिकायत की जाती है। संयोग से इस वर्ष से भारतीय भाषाओं के माध्यम से सिविल सेवा में चयन की विशेषकर साक्षात्कार देने वालों की संख्या बढ़ रही है । इस स्थिति को मज़बूत करना होगा । इसी प्रकार सिविल सेवा की प्रशिक्षण अकादमियों में प्रशिक्षण में भारतीय भाषाओं के शिक्षण और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए । भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षित और दक्ष ऐसे अधिकारियों के होने से प्रशासन में भारतीय भाषाओं के प्रयोग में निश्चित रूप से वृद्धि होगी । 

2. राजभाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि इस संबंध में बनी प्रणाली सक्षम और सक्रिय हो। इस संबंध में केंद्रीय हिंदी समिति, संसदीय समिति , सलाहकार समिति , राजभाषा कार्यान्वयन समितियों , क्षेत्रीय कार्यान्वयन समितियों की नियमित बैठकें , सुव्यवस्थित कार्य प्रणाली और सामयिक कार्यान्वयन हिंदी को बल देगा । 

3. विभिन्न मंत्रालयों में हिंदी के कामकाज के मूल्यांकन की वर्तमान तिमाही रिपोर्ट की पद्धति को समयानुसार बदलाव बनाया जाए और एक प्रभावी , पारदर्शी और यथार्थ से निकट पद्धति विकसित की जाए । 

4. प्रशासन में भर्ती के लिए अंग्रेज़ी की अनिवार्यता समाप्त की जाए । अपेक्षित अंग्रेज़ी ज्ञान प्रशिक्षण काल में दिया जाए । 

5. विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों की वेबसाइट मुख्य रूप से भारतीय भाषाओं में हो जिससे देश की विकास प्रक्रिया में समाज को जोड़ा जा सके । 

6. सभी फार्म इत्यादि केवल द्विभाषी रूप में ही हो जिससे भारतीय भाषाओं में प्रयोग करने वाले उसे प्रयोग कर सकें । 

7. मंत्रालयों और राज्यों की सर्वोच्च बैठकें केवल भारतीय भाषाओं में आयोजित की जाएँ ।संगोष्ठियों को भारतीय भाषाओं में आयोजित किया जाए । 

8. प्रशासन के अधिकारियों व कार्मिकों को देवनागरी लिपि व अन्य भारतीय भाषाओं की लिपि के आधार पर काम करने का प्रशिक्षण दिया जाए । यह प्रशासन में भारतीय भाषाओं में काम काज का आधार बनेगा। ।

9. प्रौद्योगिकी ने भारतीय भाषाओं के विकास के नए दरवाज़े खोल दिए है। भारतीय भाषाओं में पारस्परिक अनुवाद , नए प्रौद्योगिकी साधनों का प्रयोग   , नए एप्स को हिंदी व भारतीय भाषाओं में विकसित करने जैसे उपायों से भारतीय भाषाओं को गति मिलेगी । 

10. त्रिभाषी सूत्र के प्रभावी कार्यान्वयन और हिंदी और विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ समन्वय के लिए विशेष प्रयास किए जाएँ । 

11. सरल , उपयोगी और नेट पर उपलब्ध शब्दकोश बनाए जाएँ और उनमें विशेष रूप से अनुच्छेद 351 के अनुसार भारतीय भाषाओं के प्रचलित शब्दों को जोड़ा जाए । 

12. विदेशों में दूतावासों में भारतीय भाषा बनाया जाए जो दूतावासों/ उच्चायोगों में राजभाषा का तो काम करे ही साथ ही अपने कार्यक्षेत्र में हिंदी व भारतीय भाषाओं के विकास के लिए कार्य करे । 

ये बिंदु समस्त विषय को तो अपने में नहीं समेटते परंतु  प्रशासन में हिंदी और भारतीय भाषाओं के कार्यान्वयन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं । 

अनिल जोशी 

anilhindi @ gmail.com

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